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सांसद और विधायकों को खरी खोटी सुनाते रहे लोग, मुंह ताकते रहे नेता

सांसद और विधायकों को खरी खोटी सुनाते रहे लोग, मुंह ताकते रहे नेता

न्यूज़ लाइव 7 डेस्क

शिलाई

सिरमौर जिला के गिरिपार क्षेत्र की 144 पंचायतों के तीन लाख लोग बीते छह दशक से इसे जनजातीय क्षेत्र घोषित करने की मांग करते चले आ रहे है, जो अभी तक यह मांग सिरे नही चढ़ पाई है। लेकिन जिस तरह से अब लोगों ने आवाज बुलंद की है इसे देख कर ऐसा लगता है कि यह  मुद्दा केंद्रीय व प्रदेश के भाजपा नेताओं के लिए गले की फांस बन कर रह गया है मांग पूरी न हाने पर 144 पंचायतो के लोग एकजुट होकर अब अंतिम निर्णय का फैसला लेंगे।

सत्ता व विपक्ष इस बात को बखूबी जानते है कि ये मांग बेहद संवेदनशील है। इस पर नेताओं की मामूली चूक इसी वर्ष होने वाले चुनाव में भारी पड़ सकती है। 26 फरवरी को शिलाई में हुई इस महाखुमली में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने भी हिस्सा लिया, क्योंकि वे  सांसद भी गिरिपार क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।

शिलाई से कांग्रेस के विधायक  हर्षवर्धन चौहान ने तो यहां तक कह डाला कि मांग के समर्थन में अगर आवश्यकता पड़ी तो इस्तीफा देने के लिए भी वे तैयार हैं।  उधर पूर्व विधायक बलदेव तोमर ने ये कह दिया कि जहां हाटियों का पसीना गिरेगा, वहां उनका खून बहेगा। रेणुका जी के विधायक विनय कुमार ने कहा कि हमें सांस्कृतिक विरासत पर गर्व है। सिरमौर की करीब 144 पंचायतों के 3 लाख लोगों की संस्कृति को हाटी जनजातीय करने के लिए सब एकजुट हैं।

हालांकि इस महाखुमली को शिलाई में खुले मैदान में आयोजित किए जाने का कार्यक्रम था, लेकिन बारिश व कड़कती ठंड की वजह से लोक निर्माण विभाग के विश्रामगृह में आयोजित किया गया। ठंड के बावजूद भी हजारों की संख्या में लोग शिलाई, रेणुका जी, पच्छाद व पांवटा साहिब विधानसभा क्षेत्रों से पहुंचे थे।

इस अवसर पर केंद्रीय हाटी समिति  के अध्यक्ष डा0 अमी चंद कमल ने कहा कि चार महीने के भीतर यदि इसे जनजातीय क्षेत्र घोषित नहीं किया गया तो आंदोलन और उग्र होगा। इस अवसर पर महाखुमली में उपस्थित लोगों ने नाटी भी डाली। कार्यक्रम की विशेषता यह रही कि इस के युवाओं के साथ-साथ बजुर्गो ने लोइया और टोपी तथा महिलाओं ने ढाटू और सदरी पहन भाग लिया। सभी लोगों ने संकल्प लिया कि यदि चार माह के भीतर हाटी को जनजातीय क्षेत्र का दर्जा नहीं दिया गया तो 144 पंचायतों के तीन लाख लोग वोट नही देंगे।


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